संभल के बाद अजमेर की दरगाह का सर्वे, मामले को कोर्ट ने किया एक्सेप्ट। 2024

अजमेर की दरगाह के नीचे शिव मंदिर होने का दावा किया जा रहा है जिसको लेकर हिंदू पक्ष के (विष्णु गुप्ता) नाम के एक व्यक्ति ने कोर्ट में याचिका दर्ज की है जिसकी सुनवाई की कोर्ट ने इजाज़त दे दी है।

संभल के बाद अजमेर की दरगाह का सर्वे, मामले को कोर्ट ने किया एक्सेप्ट। 2024
संभल के बाद अजमेर की दरगाह का सर्वे, मामले को कोर्ट ने किया एक्सेप्ट। 2024

अजमेर की दरगाह के नीचे शिव मंदिर का दावा।

दोस्तों जिस तरह अभी संभल की जामा मस्जिद का सर्वे किया गया था और उस पर कितना बवाल हुआ था ये आप बहुत अच्छी तरह जानते हैं अभी ये मामला खत्म हुआ ही था कि अब अजमेर की दरगाह के सर्वे की भी हिन्दू पक्ष की और से मांग की जा रही है। दरअसल हिंदू पक्ष के एक व्यक्ति ने अजमेर की दरगाह के नीचे शिव मंदिर होने का दावा किया है उसने कहा कि शिव मंदिर को तोड़ कर दरगाह बनाई गई थी, जिसकी लेकर हिंदू पक्ष ने सिविल कोर्ट में याचिका दर्ज कराई है और सबसे बड़ी बात ये है कि लोकल कोर्ट ने इस याचिका की सुनवाई की date भी दे दी है और इस याचिका को एक्सेप्ट भी कर लिया है। और कोर्ट के इस मामले को एक्सेप्ट करते ही ये मामला बड़ा बनता जा रहा है और देश में फिर एक बार हलचल शुरू हो गई है।

क्या बोले अजमेर की दरगाह के उत्तराधिकारी ?

दरगाह के उत्तराधिकारी नसीरुद्दीन चिश्ती ने कहा कि में कोर्ट की प्रक्रिया पर कुछ नहीं कहूंगा, लेकिन जो याचिका कोर्ट में डाली गई है उसमें दरगाह और मस्जिद की जगह मंदिर होने का दावा किया जा रहा है, अब हर इंसान उठ कर आ रहा है और किसी भी मस्जिद के नीचे मंदिर होने का दावा कर रहा है, और इस तरह के हालात हमारे देश के लिए सही नहीं हैं जो विवाद 1947 से पहले के हैं उन्हें छोड़ दिए जाएं और हाल ही में संभल में जो हुआ वो ठीक नहीं हुआ था। और वो आगे कहते हैं कि दरगाह हमेशा से अमन और शांति का स्थान रही है यहां लाखों लोगों की आस्था जुड़ी है 1236 ईस्वी में जब खुआजा साहब का इंतेकाल हुआ तब इस दरगाह को बनाया गया था और उन्होंने ने कहा कि अगर बात दरगाह पर आई है तो हम मजबूती से लड़ेंगे।

 

अजमेर की दरगाह के सर्वे के मामले में क्या बोले असद उद्दीन ओवैसी ?

जैसे जैसे ये मामला बढ़ता जा रहा है ऐसे ही बड़े बड़े नेताओं के बयान सामने आ रहे हैं उनमें से एक हैं असदुद्दीन ओवैसी उन्होंने कहा कि अजेमर की दरगाह के आस्ताने में सदियों से लोग जा रहे हैं और जाते रहेगें, कई राजा महाराजा आए और चले गए और दरगाह आज भी आबाद है, और साथ ही उन्होंने आगे कहा कि 1991 का इबादतग़ाहों का कानून साफ कहता है कि किसी भी मज़हब की इबादतग़ाह की पहचान को तब्दील नहीं किया जा सकता और न ही अदालत में इस मामले की सुनवाई होनी चाहिए। आगे कहते हैं कि बहुत ही अफसोस कि बात है कि हिंदुत्व तंजीबों का एजेंडा को पूरा करने के लिए कानून और संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं और भारत के PM नरेंद्र मोदी चुप चाप ये सब देख रहे हैं।

 

इस मामले पर क्या बोले आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ?

इन्होंने कहा कि दरगाह में सिर्फ मुस्लिम ही नहीं जाते बल्कि भारी संख्या में हिंदू लोग भी जाते हैं, और आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट को तत्काल इस मामले को दखल देना चाहिए। अगर अब ऐसा हो की दरगाह की जगह मंदिर बन जाए तो कल मुस्लिम कहेंगे कि इस मंदिर के नीचे मस्जिद थी इसी तरह हर कोई अपने धर्म की जगह होने की बात करेगा जिससे देश के हालात पूरी तरह से बिगड़ जाएंगे। अभी संभल के वाक्य में 5 लोगों की जान गई है और अगर ऐसा ही चलता रहा तो यहां सब एक दूसरे के दुश्मन हो जाएंगे जो देश को इतनी तरक्की के दौर में भी बहुत पीछे ले जाएगा। 1991 के एक्ट के तहत 15 अगस्त 1947 से जो जो चीज़ जिस धर्म के लोगों पर है वो उसी धर्म के लोगों पर रहेगी, उसमें कोई बदलाव नहीं होगा। फिलहाल इन्होंने कोर्ट से फौरन इस मामले को रिजेक्ट करने की मांग की है।

 

कब होगी अजमेर की दरगाह के सर्वे की सुनवाई ?

इस मामले को लेकर 5 दिसंबर को बैठक होने जा रही है देखते हैं उसमें क्या फैसला निकल कर सामने आता है। अगर आप ऐसी ही और पोस्ट पढ़ना चाहते हैं तो हमारी वेबसाइट Tazasafar को सब्सक्राइब करें ताकि ऐसी ही और पोस्ट आपको सबसे पहले मिल सके।

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